Tuesday, October 11, 2016

मेडिकल शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव की पहल

एमसीआई को नया रूप देने की तैयारी, दुनिया की श्रेष्ठतम यूनिवर्सिटी में पढ़े पेशेवर आमंत्रित किए

दिल्ली के गलियारों में एक ताजा हवा बह रही है, जो तूफान में बदल सकती है। यह मंत्रालयों में नहीं, नीति आयोग में बह रही है, जिसने हाल ही में दुनिया की सर्वश्रेष्ठ यूनिवर्सिटी में पढ़े 50 पेशेवरों की सेवाएं ली हैं। इसका पहला स्वागतयोग्य प्रयोग भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) के अामूल परिवर्तन के हिस्से के रूप में मेडिकल कॉलेजों में होगा। विद्यार्थी क्या सीख रहे हैं, इस क्रांतिकारी रेग्यूलेटरी फिलॉसॉफी पर यह आधारित होगा। अभी हम फीस, प्राध्यापकों के वेतन, टॉयलेट आदि आधारभूत चीजों में उलझे हैं। इसमें अध्यापन की गुणवत्ता व छात्र क्या सीख रहे हैं, इसकी उपेक्षा कर दी जाती है। यदि सुधार सफल रहे तो अधिक और बेहतर प्रशिक्षत डॉक्टर मिलेंगे। यदि यह पद्धति शेष भारत की शिक्षा को प्रभावित करती है तो हमारे यहां बेहतर ढंग से शिक्षित आबादी होगी।

मेडिकल शिक्षा की सारी बुराइयों की जड़ भ्रष्टाचार की पर्याय एमसीआई में है। इसके पूर्व प्रमुख तो जेल भी हो आए हैं। एमसीआई ने अवैध केपिटेशन फीस पर आधारित प्रवेश पद्धति निर्मित की। मेडिसिन के क्षेत्र में प्रगति होने के बाद भी पाठ्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया। गुणवान डॉक्टरों का अभाव निर्मित किया और योग्यता व नैतिक मानदंडों का अवमूल्यन किया। प्रस्तावित विधेयक ये सारी बुराइयां दूर करने का प्रयास करेगा। अनिवार्य राष्ट्रीय योग्यता परीक्षा में छात्र कितना अच्छा प्रदर्शन करता है, उसी से प्रवेश तय होगा। विद्यार्थी ने क्या सीखा यह कॉमन लाइसेंशिएट एग्जिट एग्जाम से तय होगा और उसी से कॉलेज की रैंकिंग तय होगी। धोखेबाज, कमजोर रेटिंंग वाले कॉलेजों को स्तर सुधारने पर मजबूर किया जाएगा या फिर उन्हें बंद कर दिया जाएगा। कॉलेज से निकलने के पहले परीक्षा देने पर ही प्रैक्टिस का लाइसेंस मिलेगा और यही स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के लिए प्रवेश का टिकट होगा।

दुनिया की श्रेष्ठतम पद्धतियों पर आधारित बिल के मसौदे में सरकार को फीस, अध्यापकों का वेतन, पाठ्यक्रम और टॉयलेट के साइज जैसी बातों की ओर अत्यधिक ध्यान देने की जरूरत नहीं होगी। इसकी बजाय रेग्यूलेटर छात्रों के शिक्षण पर निगरानी रखेगा और इसी का प्रचार करेगा कि इस मामले में कॉलेज का प्रदर्शन कितना अच्छा है। एक बार पारदर्शी, योग्यता आधारित प्रवेश पद्धति वजूद में आ जाए तो कॉलेजों को फीस, वेतन और सीटें बढ़ाने पर लगे मनमाने नियंत्रणों से मुक्त कर दिया जाएगा। 40 फीसदी सीटें गरीब, लेकिन योग्य छात्रों के लिए पूर्ण छात्रवृत्ति पर होंगी। प्राध्यापकों के वेतन को मुक्त करने से ‘बड़े नाम’ वाले डॉक्टर अंशकालीन रूप में ही सही, पढ़ाने की अोर आकर्षित होंगे। पाठ्यक्रम मुक्त करने से श्रेष्ठतम कॉलेज इनोवेटिव कोर्स शुरू कर सकेंगे।

दूसरी समस्या अच्छे कॉलेजों की है। आज 11 लाख छात्र मेडिकल कॉलेजों की 55 हजार सीटों के लिए संघर्ष करते हैं। भारत में 30 लाख डॉक्टरों की कमी है। आज हम जिस रफ्तार से डॉक्टर निर्मित कर रहे हैं, उससे यह कमी दूर करने में 50 साल लग जाएंगे। यह अप्रिय स्थिति इस समाजवादी चिंतन का नतीजा है कि सिर्फ सरकार को ही शिक्षा मुहैया करानी चाहिए। सरकार ने अनिच्छा से निजी क्षेत्र के प्रवेश को मंजूर किया, लेकिन इसे लाइसेंस, परमिट, इंस्पेक्टर राज की भयावह बेडियों से जकड़ दिया। इससे ईमानदार लोग कॉलेज स्थापित करने के प्रति हतोत्साहित हुए, जबकि भ्रष्ट नेताओं को प्रोत्साहन मिला। बाधाएं हटने से गुणवत्तापूर्ण मेडिकल कॉलेजों में नाटकीय वृद्धि होगी। डॉक्टरों के अभाव की समस्या भी दूर होगी।

मुझे बिल में दो ही खामियां नज़र आती हैं : एक, ग्रामीण या बेयरफुट डॉक्टरों के लिए प्रावधानों का अभाव और दो, डॉक्टरों के अनाचार के खिलाफ रोगी को संरक्षण का अभाव। इस नए कानून को पारित करना आसान नहीं होगा। एमसीआई से जुड़े डॉक्टर बहुत प्रभावशाली हैं और डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने के किसी भी प्रयास का वे विरोध करेंगे। उन्हें बूढ़े होते समाजवादियों का समर्थन मिलेगा, जो अब भी मानते हैं कि सरकार को ही शिक्षा मुहैया करानी चाहिए। सौभाग्य से एमसीआई के आमूल बदलाव पर संसद, न्यायपालिका और कार्यपालिका में दुर्लभ सहमति है। प्रस्तावित विधेयक संसद की स्थायी समिति की सिफारिशों की भावना के अनुरूप है। यदि यह कानून का रूप लेने में कामयाब रहा तो नतीजों पर आधारित रेग्यूलेटरी फिलॉसॉफी देश में हर प्रकार की शिक्षा को रेग्यूलेट करने के लिए जबर्दस्त मिसाल होगी। यही बुराइयां देश में बच्चों की शिक्षा के संकट के लिए जिम्मेदार हैं। प्राथमिक शिक्षा संकट में है, क्योंकि शिक्षा का अधिकार (आरटीई) बच्चा क्या सीख रहा है, इस पर ध्यान नहीं देता। यह शिक्षकों की गुणवत्ता का भी आकलन नहीं करता। भारतीय बच्चे पढ़ने, विज्ञान और गणित की पिसा (प्रोग्राम फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट्स असेसमेंट) नाम की 2011 में हुई प्रतिष्ठित परीक्षा में 74 में से 73वें स्थान पर रहे थे। वार्षिक एएसईआर रिपोर्ट बताती है कि कक्षा पांच के आधे से भी कम छात्र कक्षा दो के पाठ्यक्रम का कोई पैराग्राफ पढ़ पाते हैं या साधारण जोड़-घटाव कर पाते हैं। केवल चार फीसदी शिक्षक टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) पास कर पाते हैं और उत्तरप्रदेश व बिहार में चार शिक्षकों में से तीन कक्षा पांचवीं के प्रतिशत के सवाल हल नहीं कर पाते। यदि आप सीखने का आकलन नहीं करेंगे तो शिक्षक जवाबदेह कैसे होंगे? दुनिया के श्रेष्ठतम स्कूल पद्धतियों ने यह पहचान लिया है कि शिक्षक ही सबकुछ है। उन्होंने राष्ट्रीय आकलन की प्रक्रिया स्थापित की है और शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए कठोर कार्यक्रम बनाया है।

यह मानना गलती है कि अच्छे शिक्षक पैदा होते हैं। सच यह है कि वे तैयार किए जाते हैं। पर्याप्त प्रशिक्षण के बाद कोई भी अच्छा शिक्षक बन सकता है। किंतु सतत व कठोर ट्रेनिंग शिक्षक के पूरे कॅरिअर में चलनी चाहिए। शिक्षा पद्धति का गंदा सच यह है कि शिक्षक जवाबदेह नहीं हैं- चार सरकारी शिक्षकों में से एक अनुपस्थित रहता है और जो उपस्थित होते हैं उनमें दो में एक पढ़ा नहीं रहा होता है। यदि नतीजों पर आधारित यह नई रेग्यूलेटरी फिलॉसॉफी भारत के सारे शिक्षा संस्थानों पर लागू कर दी जाए तो एक क्रांति हो जाएगी। मेडिकल शिक्षा में यह सुधार, ठीक वे संस्थागत सुधार हैं, जिनकी हमने तब उम्मीद की थी, जब नरेंद्र मोदी ने अच्छे शासन और भ्रष्टाचार को मात देने का वादा किया था।

2 comments:

Unknown said...

IndiaVotekar you are playing amazing role in Online Election Campaign India in India by providing time-to-time information via different social media to the large number of audience.

Unknown said...

We are uhe solid first platform for modeling newcomers to achieve there new dreams. The first to train and promote out models at our expense to avoid burden on them. Join the most popular agency if you modelling jobs in Delhi for female freshers, models, students, housewives aiming to start there modeling career. We are top modelling agency in Delhi offering modelling jobs in Delhi for upcoming female freshers or experienced models who want to join lingerie modeling agencies.


modeling agencies in Delhi
modeling agencies
modeling jobs
modeling auditions
model coordinators
modeling jobs in Delhi